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- सच्ची दिल पर साहब राज़ी
- सत नाम संग है
- सतगुरू का निंदक ठौर न पाये
- सतगुरू बिन घोर अन्धियारा
- सतयुग आदि सत, है भी सत, होसी भी सत
- सर्व धर्मानि परित्यज्य मामेकम् शरणम् व्रज
अहं त्वा सर्वपापोभ्यो मोक्षयिष्यामि मा षुचः
- सवेल सुमण, सवेल उथण
- सागर को स्याही बनाओ, जंगल को कलम बनाओ, धरती को कागज़़ बनाओ..
(सब धरती काजग करू, लेखनी सब वनराए ।
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाए )
- साठ लगी लाठ
- सिमर सिमर सुख पाओ, कलह क्लेश तन माह मिटाये
- सुबह का सांई बेडा बने लाई...
- सुरमण्डल के साज़ से देह अभिमानी सांडे क्या जाने
- सौ सौ करीस सिंगार, पोय ब खोदड़े जो पुट खोदड़ो
(सौ बार शृंगार किया, गधे का बच्चा गधे ही ठहरा)
- हथ कार डे दिल यार डे
- हथ जिसका हिंय पहला पुर सो पहुँचे
- हिम्मते बच्चे मददे बाप
- हीरे जैसा जन्म अमोलक, कौड़ी बदले खोया रे...
- हुक्मी हुक्म चला रहा है
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