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- टट्टू को टारा, काजी को इशारा
- डूबते को तिनके का सहारा
- तुम मात-पिता हम बालक तेरे, तुमरी कृपा से सुख घनेरे
- तुरन्त दान महा पुण्य
- तुलसीदास चंदन घिसे, तिलक देत रघुवीर...
- त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणम त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देव
- दिल साफ मुराद हासिल
- दुःख में सिमरण सब करें, सुख में करे न कोई
जो सुख में सिमरण करें, तो दुःख काहे को होवे
- दे दान तो छूटे ग्रहण
- देंदा दे, लेंदा थक पाये
जुगा जुंगतरि खाही खाहि
- धन दिये धन न खुटे
- धन्धे सब में धूर, बिगर धन्धे नर से नारायण बनाने के
- धरत परिये धर्म न छोड़िये
- धोबी के घर से गई छू
- न बिसरो, न याद रहो
- नज़र से निहाल कींदा स्वामी सतगुरू
- नर चाहत कुछ और, भई कुछ और की और
- नष्टोमोहः स्मृतिर्लब्धा त्वत्प्रसादान्मयाच्युत।
स्थितोस्मि गतसन्देहः करिष्ये वचनं तव।।
- नानक कहे नीच विचार
वारेया ना जावां एक वार;
जो तुध भावे साईं भली कार,
तू सदा सलामत निरंकार।
- निर्भय, निर्वैर, अकालमूर्त... सतगुरू प्रसाद...
- निश्चयबुद्धि विजयन्ति, संशय बुद्धि विनशन्ति
- पढ़ेंगे लिखेंगे तो बनेंगे नवाब,
रुलेंगे पिलेंगे तो होंगे खराब
- पार ब्रह्म परमेश्वर पाया, सगले दुःख विसरे
- बच्चू बादशाह पीरू वजीर
- बड़ा कहावना बड़ा दुःख पाना
- बनी बनाई बन रही अब कुछ बननी नांहि, चिंता ताकि कीजिए, जो अनहोनी होवे
- बम बम महादेव... भर दे झोली
- भज राधे गोविन्द...
(भजो राधे गोविंदा,
भजो राधे गोविंदा,
गोपाला तेरा प्यारा नाम है,
गोपाला तेरा प्यारा नाम है,
नंदलाला तेरा प्यारा नाम है...)
- भृकुटि के बीच चमकता है अजब सितारा
- मनुष्य से देवता किये करत न लागे वार
- माँगने से मरना भला
- माया जीते जगतजीत
- मिठरा घुर त घुराय
- मिया बीबी राज़ी तो क्या करेगा काजी
- मिरुआ मौत मलूका शिकार
- मुझ निर्गुण हारे में कोई गुण नाही, आपेही तरस परोई...
- मूत पलीती कप्पड़ होये, दे साबून लाई वो धोये
भरिए मत पापों के संग, ओहु धोपै नावे के संग
- यथा राजा रानी तथा प्रजा
- यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्
- रघुपति राघव राजाराम, पतीत-पावन सीताराम
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सनमति दे भगवान
- राम गयो रावण गयो जाको बहु परिवार
- राम राजा राम प्रजा राम साहुकार है
बसे नगरी जिये दाता धर्म का उपकार है
- राम सिमर प्रभात मोरे मन
- वाट वेंदे बाम्मण फाथो
- विनाश काले विपरीत बुद्धि विनशन्ति और विनाश काले प्रीत बुद्धि विजयन्ति
- शरण पड़ी मैं तेरी, प्रभु मेरी लाज रखो...
- शेरनी का दूध सोने के बर्तन में ठहरता है
- संग तारे कुसंग बोरे
- सच की बेड़ी लुड़े लुड़े पर डुबे नहीं
- सच तो बिठो नच
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