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- अंत मति सो गति
- अंतकाल जो स्त्री सिमरे, ऐसी चिंता में जो मरे, वल-वल वेश्या योनि को अवतरे,
अंतकाल जो नारायण सिमरे, ऐसी चिंता में जो मरे, ऐसी योनि को पाये जो पीताम्बर (नारायण) को पाये
- अंधे की औलाद अंधे और सज्जे की औलाद सज्जे
- अचतम् केशवम् रामनारायणम्
कृष्ण दामोदरम् वासुदेवम् भजे।
श्रीधरम् माधवम् गोपिका वल्लभम्
जानकी नामकम् रामचन्द्रम् भजे।
- अपनी घोट तो नशा चढ़े
- अम्मा मरे तो भी हलुवा खाना, बाप मरे तो भी हलुआ खाना
- अल्लिफ को अल्लाह मिला, बे को मिली झूठी बादशाही।
आई तार अल्लिफ़ को, हुआ रेल का राही।
- असंख मूरख अंध घोर
असंख चोर हराम खोर
असंख अमर कार जाहि जोर ...
- आत्मा परमात्मा अलग रहे बहुकाल,
सुन्दर मेला कर दिया जब सतगुरू मिला दलाल
- आप मुये मर गई दुनिया
- आये आग लेने और बबोरची (मालिक) बन बैठे
- आश्चर्यवत बाप का बनन्ती, कथन्ती, फिर फारकती देवन्ती
- इच्छा मात्रम् अविद्या
- ईश्वर की गत मत न्यारी है
- एक ओंकार सत नाम करता पुरुख
निरभऊ निरवैरू अकाल मूरति
अयूनि सैभं गुरू प्रसादि जप
- एक बल एक भरोसा
- एक बाप दूसरा न कोई
- एक हाथ से ताली नहीं बजती
- कख का चोर सो लख का चोर
- कम कार डे, दिल यार डे
- कम खर्चा बालानशीन
- कर भला हो भला
कर बुरा हो बुरा
- करो सेवा तो मिले मेवा
- कहना लड़की को, सिखाना बहु को
(चओ धीय खे, सिखे नूँअ)
- कामेशु क्रोधेशु
(काम एष क्रोध एष रजोगुणसमुद्भवः।
महाशनो महापाप्मा विद्ध्येनमिह वैरिणम्)
- किनकी दबी रही धूल में, किनकी राजा खाए, किनकी चोर लूटे, किनकी आग जलाए, सफल होगी उसी की जो धनी के नाम खर्चे
- खाऊँ खाऊँ पेट में बलाऊँ
- खुदाताला अल्लाह साई
- खुशी जैसी खुराक नहीं
चिंता जैसी रोग नहीं
- गई टांडे पर (आग लेने) और मालिक होकर बैठ गई
- गुड़ जाने गुड़ की गोथरी जाने
- घट में ही ब्रह्मा, घट में ही विष्णु, घट में ही नौ लाख तारे
- चढ़ती कला तेरे भाने सर्व का भला
- चढ़े तो चाखे वैकुण्ठ रस, गिरे तो चकनाचूर
- चिंता ताकि कीजिए जो अनहोनी होए
- चुल ते सो दिल ते
जो चुल पर हैं वह दिल पर हैं
- चुहे लधी होड़गरी, आवँ ब पसारी
(चूहे को मिली हल्दी की गाँठ, समझा मैं पंसारी हूँ)
- छोटा मुँह बड़ी बात
- जिन सोया तिन खोया
- जैसा अन्न वैसा मन
- जैसा राजा वैसी प्रजा
- जैसी करनी वैसी भरनी
- जैसी मत वैसी गत
- जैसे काग वैसे बच्चे
- जो ओटे सो अर्जुन
- जो करेगा सो पायेगा
- जो कर्म हम करेंगे हमें देख और करेंगे
- ज्ञान अंजन सगतुरु दिया, अज्ञान अंधेरा विनाश
- ज्ञान सूर्य प्रकटा अज्ञान अंधेरा विनाश
- झूठी माया, झूठी काया, झूठा है सब संसार
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