हातिमताई
Story Source: अरेबिया पौराणिक कथा
Murli Date: 27-02-2018
Story in Hindi:
हातिमताई
(अरेबिया पौराणिक कथा)
यमन देश में निहायत साहब नाम का एक बादशाह रहता था। विवाह के बहुत दिनों के बाद उनकी बेगम साहिबा ने एक बहुत ही सुन्दर बच्चे को जन्म दिया जिसका नाम हातिमताई रखा गया। ज्योतिषियों ने बादशाह से कहा कि यह बच्चा बहुत ही अकलमन्द बादशाह होगा और सारी दुनिया में आपका नाम रोशन करेगा। धीरे-धीरे हातिम माता-पिता के लाड़-प्यार में पलकर जवान हुआ। उसकी खूबसूरती और बहादुरी की महिमा सारे संसार में फैल गयी। वह परोपकारी ऐसा निकला कि किसी भी जीव के लिए अपनी जान तक देने को तैयार हो जाता था।
खुराशान मुल्क में एक बादशाह रहता था। उसी शहर में बरजख नाम का एक सौदागर भी रहता था जिसकी बेटी का नाम हुस्नबानो था। हुस्नबानो जब केवल बारह वर्ष की थी तब ही बरजख सौदागर की मौत हो गई। मृत्यु के पहले वह अपनी सारी जायदाद, हीरे जवाहरात अपनी एक मात्र बेटी के नाम कर, बेटी को राजा को सौंप गया। राजा भी उसे अपनी पुत्री की तरह समझते थे। बिना माँ-बाप की हुस्नबानो सदैव उदास रहती थी। एक दिन वह अपनी दाई को बुलाकर बोली – हे माता! यह संसार तो पानी के बुदबुदे समान है। पता नहीं हम भी कब मिट जायें, फिर ये रत्न, इतनी दौलत किस काम की होगी? अतः हमारी इच्छा है कि इस दौलत को धर्म-कार्य में खर्च करूँ और सृष्टि के समस्त विकारों से दूर कुँवारी ही रहूँ। दाई माँ बोली, बेटी अगर तुम्हारी ऐसी ही इच्छा है तो तुम एक काम करो। तुम अपने मकान के दरवाजे पर सात सवाल लिखकर टाँग दो और उन सात सवालों के नीचे यह लिखवा दो कि जो व्यक्ति इन सवालों का जवाब देगा मैं उसी के साथ विवाह करूँगी। उन सवालों का जवाब देना आसान नहीं होगा।
सवाल थे – 1. एक बार देखा है दूसरी बार देखने की इच्छा होगी 2. नेकी कर दरिया में डाल 3. किसी के साथ बुरा न कर, जो करेगा वैसा ही पायेगा 4. सदा सच बोलने वाला सुख पाता है 5. कोहनिदा की खबर ला दो 6. मुर्गी के अण्डे समान मोती का जोड़ मिला दे। 7. हम्मामबाद – गर्द की खबर ला दे।
दाई माँ की बात हुस्नबानो को बहुत पसन्द आई और प्रसन्न होकर इन सातों सवालों को लिखवाकर दरवाजे पर टंगवा दिया और धर्म-कार्य में जुट गई। यह बात फैलते-फैलते खवारीज़म देश तक पहुँच गई। वहाँ के बादशाह का शहजादा मुनीरशामी था। वह हुस्नबानो की बढ़ाई सुन बिना देखे ही उसका आशिक बन गया | प्रेम में दीवाना हो मुनीरशामी किसी से कहे बिना ही हुस्नबानो से मिलने चल पड़ा। मुनीरशामी हुस्नबानो से बोला – “मैं आपको पाना चाहता हूँ और इसी विरह वेदना में डूबा रहता हूँ। मैं तुम्हारे साथ शादी करना चाहता हूँ।” हुस्नबानो बोली – “ऐ नौजवान, जो मेरे सातों सवालों का जवाब देगा उससे ही मैं शादी करूँगी”। मुनीरशामी बोला – “मैं जवाब दूँगा। आप सवाल करें”। हुस्नबानो बोली “पहला सवाल यह है कि एक बार देखा है, दूसरी बार देखने की इच्छा होती है”। सवाल सुनकर मुनीरशामी वहाँ से चल पड़ा। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। विरह में पागल मुनीरशामी जगह- जगह भटकने लगा। इतने में यमन देश का शहजादा हातिमताई शिकार खेलता हुआ वहाँ आ पहुँचा। उसे हृदय विदारक आवाज़ में रोता हुआ मुनीरशामी दिखा। पास जाकर हातिमताई ने बात पूछी तो मुनीरशामी ने सारी कथा उसको सुनाई। हातिम बोला – “तू चिन्ता मत कर। मैं तेरी उससे शादी कराके ही रहूँगा” ऐसा कहकर हातिम मुनीरशामी को लेकर हुस्नबानो के पास पहुँचा और बोला, तुम्हारे सातों सवालों का जवाब मैं दूँगा लेकिन शादी मुनीरशामी से ही करनी पड़ेगी”। हुस्नबानो ने मान लिया। हुस्मबानो से पहला सवाल जानकर हातिम वहाँ से निकल पड़ा।
चलते-चलते हातिम एक बियाबान जंगल में जा पहुँचा। वहाँ पहुँचते ही देखता है कि एक भेड़िया एक हिरणी को शिकार बनाने हेतु उसके पीछे दौड़ता जा रहा है। उसको देख हातिम को दया आई और उसने भेड़िये को डांटा। भेड़िया डर गया और बोला कि “हे दयामूर्ति हातिम! तुम्हारे कहने से मैं इसे छोड़ देता हूँ लेकिन मेरी भूख का क्या होगा?” यह सुनकर हातिम ने तलवार से अपनी दोनों जांघों से थोड़ा-थोड़ा माँस काटकर भेड़िये को खिलाया। भेड़िये की भूख शान्त हो गई और फिर हातिम से उसने वन में भटकने का कारण पूछा । हातिम ने सारी कहानी सुनाई। हातिम की बात सुनकर भेड़िये ने कहा – “मैं कभी-कभी वहाँ जाता हूँ और पुराने लोगों से पता चलता है कि उस जगह का नाम है दस्तहवेदा (प्रगट नगर)।” हातिम ने भेड़िये से दस्तहवेदा का रास्ता पता किया और वहाँ के लिए चल पड़ा। रास्ते में गीदड़ों की मदद से हातिम ने अपने घावों को ठीक कर लिया। वहाँ से हातिम आगे चल पड़ा। रास्ते में उसे दो रीछों ने पकड़ लिया और रीछराज के पास पेश किया। रीछराज उसे अपनी पुत्री, जो मानव के समान हुस्न की मालिक थी, के साथ विवाह करने के लिए मजबूर करने लगा और दूसरे ही दिन अपनी पुत्री का विवाह हातिम के साथ कर दिया। कुछ दिनों के बाद हातिम रीछराज और अपनी पत्नी से आज्ञा ले सवाल का हल ढूँढने आगे निकल पड़ा। रास्ते में भयानक जंगल मिला जहाँ एक भयंकर नाग हातिम को निगल गया। हातिम सांप के पेट में मरा नहीं क्योंकि चलते वक्त रीछराज की बेटी ने एक मुलहरा उसको दिया था जिसके करिश्मे से वो सांप के पेट में भी जीवित रहा। सर्प ने दु:खी होकर उल्टी द्वारा उसे पेट से बाहर निकाल दिया। हातिम प्रसन्न होकर आगे चल पड़ा। चलते-चलते एक तालाब पर पहुँचा। वहाँ पहुँचते ही एक स्त्री तालाब से निकली और हातिम को पकड़कर तालाब के अन्दर एक बाग में ले गई और गायब हो गई। वहाँ की स्त्रियाँ हातिम को एक सुन्दर से भवन में ले गयी। वहाँ पर सब जगह परियों की तस्वीरें टंगी थी। इतने में उन तस्वीरों में से एक सुन्दर अप्सरा निकलकर उसके सामने खड़ी हो गई। हातिम ने तीन दिन, तीन रात उससे कुछ न कहा। एक रात उससे रहा न गया। उसने उस पर मोहित हो, हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचना चाहा। जैसे ही हाथ पकड़ा वैसे ही उस अप्सरा ने हातिम की छाती पर जोर से लात मारी और वह बेहोश हो गया। होश आने पर देखा कि वहाँ पर न तो कोई बाग है न ही भवन। वह एक सुनसान जंगल में लेटा पड़ा है। फिर हातिम ने मन में सोचा कि यही वह दस्तहवेदा है जिसे एक बार देखने पर दोबारा देखने की इच्छा होती है। इस तरह हातिम ने पहले सवाल का जवाब हासिल कर लिया।
इसी तरह हातिम ने सातों सवालों का जवाब हासिल कर लिया। हर किस्से में हातिम ने, रीछराज की बेटी के दिये हुए मुलहरे से अपने को हर संकट से बचाया और अन्य कइयों को भी बचाया। दूसरे किस्से में, देवों के बादशाह की स्त्री को आँखों में कई सालों से दर्द हो रहा था। हातिम ने रीछ की बेटी का दिया हुआ मुलहरा पानी में घिस कर उसकी आँखों में लगा दिया। लगाते ही उस स्त्री की पीड़ा जाती रही और दोनों आँखें खुल गयी। जब हातिम एक ऊंचे पहाड़ पर चढ़ने लगा तो सैंकड़ों परिन्दों ने आकर हातिम को उठाकर, जंजीरों में बांध कर आग लगा दी। उन परिन्दों ने सोचा कि यह जलकर राख हो जायेगा परन्तु रीछ की बेटी के मुलहरे के प्रभाव से वह आग से बचकर आगे चल पड़ा। तीसरे किस्से में – एक लाल सांप ने हातिम पर फुफकार मारना शुरू कर दिया। उसकी फुफकार का जहर आग बनकर आसमान तक फैल रहा था। वो सांप हातिम को जलाकर राख कर देना चाहता था परन्तु रीछ की बेटी के मुलहरे की वजह से उसका बाल भी बांका न हो सका। एक अन्य जगह पर मुलहरे को मुँह में रखकर वह कड़ाहे में कूद गया। मुलहरे की वजह से खौलता घी भी पानी की तरह ठण्डा हो गया। ऐसे मुलहरा मुख में डालने से माया भाग जाती थी। मुलहरा निकाल दो तो माया आ जाती थी।
आध्यात्मिक भाव: – मुलहरे की वज़ह से हातिम अनेक संकटों को पार कर सका और विजय को प्राप्त किया। शिव बाबा का दिया हुआ ज्ञान और बाबा की याद मुहलरे के समान है। जब कोई परिस्थिति या संकट आता है तो बाबा की याद और ज्ञान ही हमें बचा सकते हैं और दूसरों को भी हम परेशानी से बचा सकते हैं। जितना बाबा की याद रूपी मुहलरा साथ में होगा उतना माया से सेफ रहेंगे। मुख में मुलहरा डालने से अर्थात् ज्ञान की शक्ति अथवा साईलेन्स की शक्ति से संस्कारों का टकराव भी खत्म हो जायेगा।
Story in English:
Hatimtai
(Arabian mythological story)
The king Nihayat Saheb was ruling the country called Yemen. Long time after his marriage, the queen gave birth to a beautiful son. The child was named Hatimtai. The astrologers predicted that the boy would be an intelligent Emperor and that he would make a name for you in the entire world. Gradually, Hatimtai grew up into an adult amidst the love and affection of his beloved parents. The greatness of his bravery and charm spread across the whole world. He developed an attitude of selflessly helping others. He was even prepared to sacrifice his own life helping others.
In Khurashan country, there was a trader by name Barjakh. He had a daughter by the name Husnabano. She lost her father at the age of twelve. Before death, the trader Barjakh, left a will giving all his wealth, gold, diamonds etc. to her daughter and entrusted his daughter along with the property to the king. The king also was looking after Husnabano like his own daughter. Once, Husnabano called her wet nurse who had brought her up and said to her, “This world is like a water bubble. We may also die anytime. What is the need for all this wealth of gold, diamonds, pearls etc. I wish to utilize all this property for charitable purposes. I want to remain virgin, away from all the sins of the world”. The elderly wet nurse carefully thought over the matter and advised Husnabano, “My child, if your wish is like that, you display the following seven questions on your house gate and write that you will marry the person who will bring correct answers to all these questions”.
The questions were: 1. If seen once, feels like seeing again. 2. Do favour and cast it in the river. 3. Do not harm others. As they do so would they reap. 4. One who always speaks the truth, gets happiness. 5. Bring details of KOHINIDA. 6. Bring the pair of the pearl similar to an egg. 7. Bring details of HAMMAMABAD – GARD.
Impressed with the words of wet nurse, Husnabano displayed those seven questions on her door and involved herself in charitable activities. The news of these questions spread everywhere and also reached a country called Khavarijam, whose prince was Munirushami. He heard about the beauty and bravery of Husnabano and started loving her without even seeing her. The love blinded Munirushami left to see Husnabano without telling anybody. Munirushami said to Husnabano, “I love you and want to marry you. I am unable to bear this pain of separation from you.”. Husnabano replied, “Oh Prince, I will marry only the person who brings answers to all my seven questions”. Munirushami asked her to tell him all the questions and promised to bring the answers. Husnabano told the first question – If seen once, feels like seeing again. Munirushami left the place in search of answers. But he was unable to understand where to go and what to do. He was wandering like a mad person. At that time, the prince of Yemen, Hatimtai arrived there while hunting. He saw Munirushami crying in tears miserably. Hatimtai came to know the entire matter and promised that he will arrange his marriage with Husnabano and both of them went to Husnabano. Hatimtai assured to bring answers to all those questions, on behalf of Munirushami and put a condition that Husnabano will marry Munirushami. Husnbano agreed to the condition. Then Hatimtai started in pursuit of answers.
Hatimtai reached a forest. There he saw a wolf hunting a deer. Pitying the deer, Hatimtai threatened the wolf strongly. Then the wolf questioned, “Oh kind hearted Hatimtai, as per your words, If I leave the deer, what will happen to my hunger?”. Then Hatimtai cut flesh from both his thighs and offered it to the wolf. When the wolf came to know about Hatimtai’s objective, said, “I used to go there every now and then and through my ancestors I came to know that the name of the place was Dasthahveda”. Hatimtai enquired about the route and set off for that place. On the way, Hatimtai got cured his wounds with the help of the foxes. While Hatim was on his way, two bears caught him and took him to their king. The king of bears forced Hatimtai to marry his daughter who was extremely beautiful like any other human being. The very next day Hatimtai and the daughter of bear king were married. Hatimtai stayed there for few days accepting their hospitality. Again, Hatimtai started his journey to get the answers for the questions. On the way, a mighty serpent swallowed Hatimtai. But Hatimtai did not die because, the daughter of the Bear king had given him a golden coin and due to its power, no harm was done to Hatimtai. The serpent, unable to bear the pain of Hatimtai in its stomach, vomited him out from its mouth. Hatimtai was happy and reached a river from there. One angel came out from the river, hold the hand of Hatim and took him into a garden in the river and disappeared. The beautiful ladies in the garden took Hatim to a beautiful palace. The pictures of beautiful angels were hanging on the walls in the palace. One angel came out of one picture and stood before Hatimtai. Hatimtai was staring at her for three days and three nights but did not do anything to her. Unable to control himself on the fourth day, Hatim touched the hand of the angel. Immediately the angel kicked him on the heart. Hatim got fainted. When he regained his consciousness, Hatim found himself lying in a forest. There was neither the palace nor the garden. Hatim thought that perhaps this might be the place Dastahaveda, which creates a feeling in my mind to see it again and again. He was thrilled with the satisfaction of finding answer to the first question. Like this, Hatim found answers to all the seven questions. Every time Hatim was in trouble, he could save himself with the help of the golden coin given by the daughter of the Bear King. He saved others also with the help of that coin.
In the second part of the story, the wife of the demon’s king was suffering from severe eye pain since last several years. Hatim rubbed the coin in the water and offered it to the queen. After taking the water, the pain of the queen vanished gradually. After that when Hatim was climbing a mountain, several hundreds of birds took him away. They tied him and put him to fire to burn him into ashes. But due to the power of the presence of the Golden coin with him, no harm was done to him. In the third part, one dreadful giant serpent started hissing at Hatim, it tried to burn him with its poisonous fires. But due to the power of the golden coin it could not do any harm to him. In another instance, Hatim had to jump into a big pan containing boiling ghee. But due to the power of the golden coin, the boiling ghee also turned into cool water. To summarize, put the Mulehra (Golden Coin) in your mouth, the Maya runs away from you and if you take out the Mulehra, the Maya comes back.
Spiritual significance: – Due to the power of the Golden coin Hatim could save himself from several dangers and achieved success. The knowledge of Shiva baba and his remembrance is like a golden coin. In difficult situations and troubles, the knowledge of Baba and his remembrance alone can save us. We can save even others also with the help of Baba’s knowledge like the gold coin. The more we keep the Mulehra of Baba’s knowledge and remembrance with us, the more we will be safe from the Maya.
Story in Telugu:
హాతిమతాయి
(అరేబియా పౌరాణిక కథ)
యమన్ దేశమును నిహాయత్ సాహబ్ అనే రాజు పరిపాలిస్తూ ఉండేవాడు. వివాహమైన చాలా రోజుల తర్వాత బేగమ్ సాహిబా పండంటి కొడుకుకు జన్మనిస్తుంది. అతనికి హాతిమతాయి అని పేరు పెడ్తారు. ఆ బాలుడు చాలా తెలివైన మహారాజుగా పేరు తెచ్చుకుంటాడని, సమస్త ప్రపంచములో తన పేరు మారుమోగిపోతుందని రాజుగారికి జ్యోతిష్యులు చెప్తారు. నెమ్మది నెమ్మదిగా హాతిమ్ తల్లిదండ్రుల ప్రేమానురాగాల మధ్య పెరిగి పెద్దవాడవుతాడు. అతని అందము, ధైర్యసాహసముల కీర్తి నలు వైపుల వ్యాప్తి చెందుతాయి. ఒక ప్రాణిని కాపాడటానికి తన ప్రాణములు ఇవ్వడానికి కూడా సిద్ధపడేంతగా పరోపకార వృత్తిని అలవర్చుకుంటాడు హాతిమ్.
ఖురాషాన్ అనే ఒక దేశము ఉండేది. ఆ రాజ్యములో బరజఖ్ అనే వ్యాపారస్తుడు ఉండేవాడు. అతని కూతురు పేరు హుస్నబానో. హుస్నబానో తన పన్నెండవ ఏటలోనే తండ్రని కోల్పోతుంది. చనిపోయే ముందు బరజఖ్ అతని ఆస్తి, వజ్ర వైఢూర్యములను తన కూతురు పేరు మీద రాసి కూతురిని, ఆస్తిని రాజుకు అప్పగిస్తాడు. రాజు కూడా హుస్నబానోను అతని కన్న కూతురు వలె చూసుకోసాగాడు. కానీ తల్లిదండ్రులు లేని హుస్నబానో ఎప్పుడూ ఉదాసీనంగా ఉండేది. ఒకసారి హుస్నబానో తనను పెంచిన ఆయాను పిలిచి ఇలా అంటుంది, “ఈ ప్రపంచము నీటి బుడగతో సమానము. నేను కూడా ఎప్పుడు చనిపోతానో తెలియదు. అలాంటప్పుడు ఈ సంపద, రత్నములు అన్నీ దేనికి? అందుకే ఈ సంపదనంతా ధర్మ కార్యములకు వినియోగించాలని నా కోరిక. సృష్టిలోని సమస్త వికారముల నుండి దూరంగా కన్యగానే ఉండాలని ఉంది” అని చెప్తుంది. ఆయా బాగా ఆలోచించి హుస్నబానోతో ఇలా అంటుంది, “అమ్మా! ఒకవేళ నీ కోరిక అదే అయితే నీ ఇంటి గుమ్మానికి ఏడు ప్రశ్నలు రాసి వేలాడదీయి. ఎవరైతే ఈ ఏడు ప్రశ్నలకు సమాధానము తీసుకువస్తారో వారినే వివాహమాడుతానని వ్రాసి పెట్టు. ఆ ఏడు ప్రశ్నలకు సమాధానము తీసుకురావడము అంత సులభము కాదు.”
ఆ ఏడు ప్రశ్నలు ఇవే – 1. ఒకసారి చూస్తే మళ్ళీ మళ్ళీ చూడాలని అనిపిస్తుంది. 2. పుణ్యము చేసి నదిలో కలుపు. 3. ఎవ్వరికీ అపకారము తల పెట్టవద్దు, చేసుకున్నవారికి చేసుకున్నంత మహాదేవ. 4. ఎప్పుడూ సత్యమును చెప్పువారు సుఖమును పొందుతారు. 5. కోహినిదా గురించిన వివరము తీసుకురా. 6. కోడిగుడ్డు సమానముగా ఉండే ముత్యపు జతను తీసుకురా. 7. హమ్మామాబాద్-గర్జ్ వివరము తీసుకురా.
ఆయా మాటలు హుస్నబానోకు బాగా నచ్చి ఏడు ప్రశ్నలను వ్రాయించి గుమ్మానికి కట్టించి ధర్మ కార్యములలో మునిగిపోతుంది. ఈ విషయము వ్యాపిస్తూ వ్యాపిస్తూ ఖవారీజామ్ అనే రాజ్యానికి చేరుకుంటుంది. అక్కడి రాకుమారుడి పేరు మునీరుషామీ. అతను హుస్నబానో సౌందర్యము, ధైర్యము గురించి విని ఆమెను చూడకుండానే ప్రేమిస్తాడు. పేమ పిచ్చివాడైన మునీరుషామీ ఎవ్వరికీ చెప్పకుండా హుస్నబానోను చూడటానికి వెళ్తాడు. మునీరుషామీ హుస్నబానోతో ఇలా అంటాడు, “నేను నిన్ను పొందాలనుకుంటున్నాను. ఈ విరహ వేదనలోనే నేను మునిగి ఉన్నాను. నేను నిన్ను పెళ్ళి చేసుకోవాలనుకుంటున్నాను”. హుస్నబానో అన్నది –“ఓ రాకుమారా! నా ఏడు ప్రశ్నలకు సమాధానము తీసుకువచ్చినవారినే నేను పెళ్ళి చేసుకుంటాను.” “ఆ ప్రశ్నలు చెప్పు. నేను వాటికి సమాధానము తీసుకువస్తాను” అని మునీరుషామీ అంటాడు. హుస్నబానో తన మొదటి ప్రశ్నను చెప్తుంది – ఒకసారి చూస్తే మళ్ళీ మళ్ళీ చూడాలనిపిస్తుంది.” మునీరుషామీ మెదటి ప్రశ్నకు సమాధానము తీసుకురావడానికి బయలుదేరుతాడు. కానీ అతనికి ఎక్కడికి వెళ్ళాలో, ఏమి చేయాలో అర్ధము కాలేదు. విరహ వేదనతో పిచ్చివాడిలా తిరుగుతూ ఉంటాడు. అంతలో యమన్ దేశపు రాకుమారుడు, హాతిమతాయి వేటాడుతూ అక్కడకు వస్తాడు. అక్కడ హృదయ విదారకముగా రోదిస్తున్న మునీరుషామీ కనిపిస్తాడు. హాతిమతాయి మునీరుషామీ వద్దకు వెళ్ళి జరిగిన కథంతా తెలుసుకుంటాడు. మునీరుషామీ కోరుకున్నట్లే హుస్నబానోతో వివాహము జరిపిస్తాను అని మాట ఇచ్చి హుస్నబానో వద్దకు హాతిమతాయి, మునీరుషామీ వెళ్తారు. హుస్నబానో ప్రశ్నలకు హాతిమతాయి జవాబు తెస్తానని మాట ఇస్తాడు కానీ వివాహము మాత్రము మునీరుషామీను చేసుకోవాలని హాతిమ్ షరతు పెడ్తాడు. అందుకు హుస్నబానో ఒప్పుకుంటుంది. హాతిమతాయి మొదటి ప్రశ్నను తెలుసుకుని దాని సమాధానము కోసం బయలుదేరుతాడు.
దారిలో హాతిమతాయి ఒక అడవికి చేరుకుంటాడు. అక్కడ ఒక తోడేలు జింకను వేటాడటము హాతిమ్ చూస్తాడు. జింకను చూసి జాలి పడ్డ హాతిమ్ తోడేలును గట్టిగా మందలిస్తాడు. భయపడిన తోడేలు, “హే దయామూర్తి అయిన హాతిమ్! నీవు చెప్పావు కాబట్టి ఈ జింకను వదిలేస్తాను. కానీ నా ఆకలి మాటేమిటి?” అని హాతిమ్ను అడుగుతుంది. అది విన్న హాతిమ్ అతని రెండు తొడల నుండి మాంసము కోసి తోడేలుకు ఆహారంగా ఇస్తాడు. అది తిని తోడేలు దాని ఆకలిని తీర్చుకుంటుంది. అప్పుడు తోడేలు, హాతిమ్ అడవిలో తిరుగుతున్న కారణమును అడిగి తెలుసుకుంటుంది. తోడేలుకు హాతిమ్ జరిగినదంతా చెప్తాడు. అప్పుడు తోడేలు, “పూర్వీకులు ఆ ప్రదేశమును దస్తహవేదా అని పిలుస్తూ ఉండేవారు. నేను అప్పుడప్పుడూ అక్కడకు వెళ్తూ ఉంటాను”. హాతిమ్ దస్తహవేదాకు దారి తెలుసుకొని అక్కడ నుండి బయలుదేరుతాడు. దారిలో నక్కల సహాయముతో హాతిమ్ అతని గాయములను నయము చేసుకొంటాడు. అక్కడ నుండి బయలుదేరిన హాతిమ్ను రెండు ఎలుగుబంట్లు పట్టుకొని వాటి రాజు వద్దకు తీసుకు వెళ్తాయి. అక్కడ ఎలుగుబంటి రాజు అతని కూతురును వివాహమాడమని హాతిమ్ను బలవంతపెడ్తాడు. అతని కూతురు మనుష్యుల సమానంగా ఉండే అపురూప సౌందర్యరాశి. ఆ మరుసటి రోజే హాతిమ్కు ఎలుగుబంటి రాజు కూతురికి వివాహము జరిగుతుంది. అక్కడ హాతిమ్ కొన్ని రోజులు గడిపి వారి ఆతిథ్యమును స్వీకరిస్తాడు. ఆ తర్వాత హాతిమ్ అక్కడ నుండి ప్రశ్నకు సమాధానము కోసము బయలుదేరుతాడు. దారిలో హాతిమ్ను ఒక భయంకరమైన సర్పము మింగేస్తుంది. కానీ ఆ సర్పము పొట్టలో హాతిమ్ మరణించలేదు. ఎందుకంటే హాతిమ్ బయలుదేరేటప్పుడు ఎలుగుబంటి రాజు కూతురు హాతిమ్కు ఒక బంగారు నాణెమును ఇస్తుంది. దాని మహిమ కారణంగా హాతిమ్కు ఎటువంటి అపాయము జరగలేదు. సర్పము భరించలేని నొప్పి కారణంగా హాతిమ్ను బయటకు కక్కేస్తుంది. హాతిమ్ సంతోషముతో అక్కడ నుండి బయలుదేరి ఒక చెరువు దగ్గరకు చేరుకుంటాడు. వెంటనే ఆ చెరువు నుండి ఒక అప్సరస వచ్చి హాతిమ్ చేయి పట్టుకొని అతనిని చెరువు లోపల ఉన్న ఒక తోటలోకి తీసుకు వెళ్ళి మాయమైపోతుంది. ఆ తోటలోని స్త్రీలు హాతిమ్ను ఒక సుందరమైన భవనములోకి తీసుకువెళ్తారు. ఆ భవనములో అందమైన అప్సరసల చిత్రపటాలు తగిలించి ఉంటాయి. ఇంతలో ఆ చిత్రపటాల నుండి ఒక అందమైన అప్సరస వచ్చి హాతిమ్ ముందు నిలబడుతుంది. మూడు రోజులు మూడు రాత్రులు హాతిమ్ ఆ అప్సరసను చూస్తూ ఉన్నాడే కానీ ఏమీ చేయలేదు. నాలుగవ రోజు రాత్రి హాతిమ్ ఇక ఉండబట్టలేక అప్సరస చేయి పట్టుకుంటాడు. వెంటనే అప్సరస హాతిమ్ గుండెలపై గట్టిగా తన్ని మాయమైపోతుంది. హాతిమ్ మూర్ఛపోతాడు. హాతిమ్కు స్పృహ వచ్చి చూసేసరికి అక్కడ తోట లేదు, భవనము లేదు. అతను ఒక నిర్మానుష్యమైన అడవిలో పడి ఉన్నాడు. అప్పుడు హాతిమ్ బహుశా ఇదే దస్తహవేదా కాబోలు, ఒక సారి చూస్తే మళ్ళీ చూడాలని అనిపిస్తుంది అని అనుకుంటాడు. మెదటి ప్రశ్నకు సమాధానమును కనుక్కున్న సంతోషముతో హాతిమ్ తిరుగు ప్రయాణమవుతాడు.
ఈ విధముగా హాతిమ్ ఏడు ప్రశ్నలకు సమాధానాలను కనుక్కుంటాడు. ప్రతిసారి హాతిమ్ ఎలుగుబంటి రాజు కూతురు ఇచ్చిన నాణెముతో తనను తాను రక్షించుకోవడమే కాకుండా ఇతరులనూ రక్షిస్తాడు. రెండవ భాగములో – ఒక రాజు భార్య కళ్ళకు ఎన్నో సంవత్సరముల నుండి భరించలేని కంటి నొప్పి. అప్పుడు హాతిమ్ అతని దగ్గర ఉన్న నాణెమును నీటిలో అరిగించి ఇస్తాడు. అది తీసుకున్న వెంటనే రాజు భార్యకు మెల్లగా నొప్పి తగ్గుతుంది. ఆ తర్వాత హాతిమ్ ఒక పర్వాతాన్ని ఎక్కుతున్న సమయంలో కొన్ని వందల పక్షులు హాతిమ్ను ఎత్తుకుపోయి సంకెళ్ళతో కట్టేసి నిప్పు పెడ్తాయి. హాతిమ్ ఆ మంటలలో మాడి మసైపోతాడు అనే ఆ పక్షులు అనుకున్నాయి. కానీ హాతిమ్ అతని దగ్గర ఉన్న నాణెము ప్రభావము వలన ఎలాంటి అపాయము లేకుండా బయట పడగలుగుతాడు. మూడవ భాగములో – ఒక భయంకరమైన ఎర్రని సర్పము బుసలు కొట్టడం మెదలు పెట్టింది. దాని బుసలనుండి వచ్చే విషము నిప్పుగా మారి ఆకాశాన్ని అంటుతుంది. ఆ సర్పము దాని విషపూరిత నిప్పులలో హాతిమ్ను బూడిద చేయాలనుకుంది. కానీ హాతిమ్ దగ్గర ఉన్న నాణెము కారణంగా అతని వెంట్రుక కూడా వంకర పోలేదు. మరొక చోట ఎలుగుబంటి రాజు కూతురు ఇచ్చిన నాణెమును హాతిమ్ నోట్లో పెట్టకొని ఒక బాణిలిలోకి దూకవలసి వస్తుంది. అందులో మసులుతున్న నెయ్యి కూడా నాణెము కారణముగా చల్లని నీటిలా మారిపోతుంది. మరొక చోట నాణెమును హాతిమ్ అతని తలపై పెట్టుకొని మాయమైపోయి తనను తాను రక్షంచుకోగలుగుతాడు.
ఆధ్యాత్మిక రహస్యము: – నాణెము కారణంగా హాతిమ్ ఎన్నో ఆపదల నుండి రక్షింపబడ్డాడు మరియు విజయమును సాధించగలిగాడు. శివబాబా జ్ఞానము, శివబాబా స్మృతి ఒక బంగారు నాణెముతో సమానము. పరిస్థితులు, కష్టములు వచ్చినప్పుడు, బాబా జ్ఞానము మరియు స్మృతియే మనలను కాపాడగలుగుతుంది, ఇతరులనూ మనము దుఃఖము నుండి కాపాడగలము. జ్ఞానయోగాలు మన వద్ద ఉంటే మాయ మాయమైపోతుంది, జ్ఞానయోగాలు లేకపోతే మాయ మన ముందుకు వస్తుంది.